Rheumatoid Arthritis: समय पर ध्यान देना है जरूरी

रुमेटॉयड आर्थराइटिस अब युवाओं को बना रहा है अपना शिकार।

रुमेटॉयड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) की गंभीरता को कम करने के लिये नैनोकणों को ज़िंक ग्लूकोनेट (Zinc Gluconate) के साथ प्रयोग किया गया ।


  • भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत एक स्वायत्त संस्थान ‘नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, मोहाली’ (Institute of Nano Science & Technology- INST) के वैज्ञानिकों ने चिटोसन (Chitosan) के साथ नैनोकणों का निर्माण किया है और रुमेटॉयड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) की गंभीरता को कम करने के लिये इन नैनोकणों को ज़िंक ग्लूकोनेट (Zinc Gluconate) के साथ प्रयोग किया।
  • ज़िंक तत्त्व सामान्य हड्डी होमोस्टैसिस (Homeostasis) को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण होता है और ऐसा बताया जाता है कि इसका स्तर रुमेटॉयड अर्थराइटिस रोगियों एवं अर्थराइटिस-प्रेरित पशुओं में कम हो जाता है। 
  • चिटोसन एक बायोकम्पैटेबल, बायोडिग्रेडेबल, प्राकृतिक पोलीसैकेराइड होता है जो क्रस्टेशियन (Crustaceans) के बहिःकंकाल (Exoskeleton) से प्राप्त सर्वाधिक प्रचुर बायोपॉलीमर्स में से एक है जिसने अवशोषण को बढ़ावा देने वाले अभिलक्षणों को प्रदर्शित किया है।
  • चिटोसन नैनोपार्टिकल्स के प्रतिपादन के लिये आयोनिक गेलेशन पद्धति (Ionic Gelation Method) का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है जिनमें चिकित्सकीय रूप से सक्रिय विभिन्न फार्माकोलोजिकल कारक निहित हो सकते हैं।
  • वैज्ञानिकों ने ‘डबल डिस्टिल्ड जल’ (Double-Distilled Water) में चिटोसन एवं सोडियम ट्राईपालीफॉस्फेट (Sodium Tripolyphosphate) का उपयोग करते हुए ‘ज़िंक ग्लूकोनेट लोडेड चिटोसन नैनोपार्टिकल्स’ तैयार किया और ज़िंक ग्लूकोनेट को चिटोसन नैनोपार्टिकल्स के संश्लेषण के साथ-साथ जोड़ दिया। 

मुख्य  बातें :

  • रुमेटॉयड आर्थराइटिस अब युवा जोड़ों को अपना शिकार बना रहा है। पिछले कुछ समय में 25 से 35 आयु वर्ग में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं। महिलाओं में इसका असर अधिक देखने को मिलता है। 
  • रुमेटॉयड आर्थराइटिस (आरए)। इसमें शरीर का प्रतिरोधी तंत्र शरीर के तमाम जोड़ों की कोशिकाओं पर  हमला करने लगता है। 
  • इस असामान्य प्रतिरोधी प्रतिक्रिया के कारण कोशिकाओं में सूजन आने लगती है और शरीर के जोड़ और अन्य अंग भी प्रभावित होने लगते हैं। 
  • लंबे समय तक इलाज में लापरवाही जोड़ों में स्थायी क्षति का कारण बन जाती है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार 100 से ज्यादा तरह के आर्थराइटिस (गठिया रोग) हैं,  जिनमें मुख्य रूप से उम्र के साथ जोड़ों के घिसने व कमजोर होने के कारण होने वाला ऑस्टियो आर्थराइटिस, जोड़ों में यूरिक एसिड के जमा होने के कारण होने वाला गाउट या जोड़ों में संक्रमण के कारण होने वाला संक्रामक आर्थराइटिस शामिल हैं, पर रुमेटॉयड आर्थराइटिस ऑटोइम्यून यानी प्रतिरोधी तंत्र की असामान्य प्रतिक्रिया के कारण होने वाला रोग है। 
  • अधिकतर लोग इसे सामान्य गठिया की तरह मानते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। यह न सिर्फ अलग है, बल्कि गंभीर भी है। इसका असर कई जोड़ों को प्रभावित कर सकता है।
  • उसे ताउम्र दर्द निवारक दवाएं लेनी होती हैं, जो अंगों पर बुरा असर डालती हैं, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग होता है। दवाओं से मरीज न सिर्फ ताउम्र काम करने में सक्षम रहते हैं, बल्कि आधुनिक दवाएं शरीर पर पहले की तरह गंभीर असर नहीं डालतीं।

रोग का कारण:

  • Rheumatoid Arthritis के स्पष्ट कारण का अभी तक पता नहीं चला है। 
  • मुख्य रूप से आनुवंशिक कारणों को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है। 
  • कई  शोध पर्यावरणीय कारकों (environmental factors  और हॉर्मोन को भी जिम्मेदार मानते हैं।

क्या खाएं, क्या नहीं

कठिनाई से पचने वाले आहार : 

  • मिठाइयां, तली हुई चीजें, वायु उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थ जैसे उड़द, राजमा, छोले, संपूर्ण मलाईयुक्त दूध, दही, खट्टे पदार्थों जैसे नींबू व ठंडी चीजों से परहेज करें।
फायदेमंद आहार :

  • मूंग दाल, घीया, तोरी, हरी सब्जियां, दलिया, खिचड़ी, पोहा, उपमा, सब्जियों के सूप, टोन्ड दूध आदि ले । 
  • सप्ताह में कम से कम एक बार काले चने अपने भोजन में अवश्य शामिल करें।
  • खाने में सेंधा नमक लें।
  • जीरा, अजवाइन, सोंठ पाउडर, लहसुन, सौंफ, हरड़, मेथी और हल्दी लेना फायदेमंद है।
  • बैंगन, टमाटर, मक्का, संतरा, रिफाइंड शुगर, एल्कोहल, कैफीन, रेड मीट व तंबाकू सेवन से बचें। 
  • खाने वाली चीजों में सालमन, अलसी के बीज, अखरोट, ग्रीन टी, चैरी, पपीता, ब्रोकली, स्प्राउट्स, स्ट्रॉबेरी, गोभी व अंगूर, टोफू व लहसुन को शामिल करें

समय पर ध्यान देना है जरूरी :

  • अभी तक पूर्ण इलाज नहीं मिल पाया है, पर सही विशेषज्ञों से उपचार, सेल्फ मैनेजमेंट और जीवनशैली में बदलाव से  इसमें काफी राहत मिल जाती है। 
  • इसका उपचार कई बातों को ध्यान में रख कर किया जाता है, जैसे रोग की स्थिति, कौन से जोड़ प्रभावित हैं, मरीज की सेहत, उम्र और उसकी जीवनशैली आदि। 
  • सही समय पर उपचार की शुरुआत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 
  • सही मायने में इसका फिलहाल एक ही इलाज है अपने दिनचर्या को बदले , जैसे पौस्टिक भोजन, नियमित व्यायाम, प्राणायाम और सबसे महत्वपूर्ण  बात खुश रहे. 
मानसिक अशान्ति सभी बीमारी का कारण  है ! इसलिए एक स्वस्थ और शांत  मन ही  अपने आस पास सभी को शांति प्रदान कर सकता है...... स्वस्थ शरीर ही मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी होती है।


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