Indian Railways 2030: Zero carbon emission target(भारतीय रेल 2030: जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य)
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महत्त्व बिंदु:
- इस योजना की अवधरणा के दौरान शून्य कार्बन उत्सर्जन की प्राप्ति के लिये सौर ऊर्जा अनुकूल राज्यों के साथ हुए पूरे देश के औसत सौर पृथक्करण(Average Solar Insolation) को आधार माना गया है।
- भारत के विभिन्न भागों में उत्पादित सौर ऊर्जा को रेलवे की ट्रैक्सन लाइनों के माध्यम से कहीं भी पहुँचाया जा सकता है।
- भारतीय रेल द्वारा शिमला, वैष्णव देवी जैसे देश के कई बड़े रेलवे स्टेशनों को पूर्णरूप से हरित ऊर्जा पर संचालित कर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।
- भारत के कुल कार्बन उत्सर्जन में लगभग 13% परिवहन क्षेत्र से आता है और इसमें रेलवे की हिस्सेदारी लगभग 60 लाख टन (वार्षिक) है।
- मुख्य बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में परिवहन क्षेत्र के कार्बन उत्सर्जन में लगातार वृद्धि देखने को मिली है।
सौर ऊर्जा से रेल संचालन:
- जानकारी केअनुसार वर्ष 2019 में नई दिल्ली में रेलवे द्वारा एक प्रयोगशाला मॉडल पर आधारित परीक्षण किया गया था।
- इसके तहत सोलर पैनल से उत्पादित विद्युत को रेलवे की 25 किलोवाट ट्रैक्सन लाइन में संप्रेषित करने में सफलता प्राप्त की गई।
- सौर ऊर्जा से रेल संचालन की एक बड़ी चुनौती ‘सिंगल फेज़ इनवर्टर’ की अनुपलब्धता थी।
- इस चुनौती को दूर करने के लिये भारतीय रेलवे और ‘भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड’ (Bharat Heavy Electricals Ltd- BHEL) ने मिलकर उच्च क्षमता वाले 1 मेगावाट के ‘सिंगल फेज़ इनवर्टर’ के विकास में सफलता प्राप्त की है।
आत्मनिर्भर भारत:
- रेलवे में सौर ऊर्जा उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने के दौरान भी स्वेदशी निर्माताओं को प्राथमिकता देने और विदेशी उपकरणों के आयात की सीमा निर्धारित करने की बात कही गई है।
- भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ (Make In India) पहल के तहत पश्चिम बंगाल स्थित ‘चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स’ (Chittaranjan Locomotive Works- CLW) द्वारा लगभग 10 करोड़ की लागत से 9000 हॉर्सपॉवर के स्वदेशी रेल इंजन का निर्माण किया गया है।
- विदेशी निर्माताओं द्वारा 9000 हॉर्सपॉवर के रेल इंजन की लागत लगभग 45 करोड़ रुपए बताई गई थी।
- इसी प्रकार फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स अल्स्टॉम के सहयोग से बिहार स्थित ‘मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड’ 12,000 हॉर्स पावर के इलेक्ट्रिक रेल इंजन का निर्माण किया जा रहा है।
आगे की लक्ष्य :
- वर्ष 2030 तक रेलवे के कार्बन उत्सर्जन को शून्य बनाना एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है, परंतु यदि समायोजित र
- सरकार द्वारा रेलवे से जुड़ी परियोजनाओं से जुड़ने के लिये अधिक-से-अधिक कंपनियों को प्रेरित करने हेतु कर में छूट और अन्य आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
- वर्ष 2030 तक रेलवे को शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये राज्यों के संसाधन का उपयोग करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक नीतिगत बदलाव के साथ-साथ राज्य सरकारों से विचार-विमर्श कर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिये।
- भविष्य में सड़क परिवहन के संचालन में भी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल विद्युत् संयंत्रों) को अधिक-से-अधिक प्रयोग में लाकर पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ अन्य देशों पर ईंधन की निर्भरता को कम की जा सकेगी।
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