भारतीय खुफिया सूत्रों ने रिपोर्ट दी है कि इन सभी के तार सीधे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से जुड़े हुए हैं.
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- हुवावे और अलीबाबा जैसी बड़ी चीनी कंपनियां, जो सम्भवतया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चीनी आर्मी से जुड़ी हुई हैं.
- इनके खिलाफ भारत में एक्शन हो सकता है. ये कंपनियां उन 7 कंपनियों में से एक हैं, जिनके खिलाफ
- ये सभी सातों चीनी कंपनियां मोबाइल और टेक सेक्टर से नहीं जुड़ी हैं. लेकिन इन्होंने भारत की विभिन्न इंडस्ट्रीज में विशाल स्तर का निवेश किया है.
- ये सातों कंपनियां हैं, XIndia स्टील्स, जिनजिंग कैथे इंटरनेशनल, चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप, हुवावे, अलीबाबा, टेनसेंट और एसएआईसी मोटर कॉरपोरेशन.
- भारत सरकार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ये सभी कंपनियां निगरानी के दायरे में हैं और सम्भवतया इन पर एक्शन लिया जा सकता है.
- सूत्र बताते हैं कि अलीबाबा, बाइडू और टेनसेंट चीन के मिलिट्री सिविल फ्यूजन और आर्टीफिशियल प्रोजेक्ट्स का हिस्सा हैं.
- सूत्र यूएस-चीन इकोनॉमिक और सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन की 2019 की उस रिपोर्ट की तरफ इशारा करते हैं, जिसमें कहा गया था कि चीन की मिलिट्री-सिविल फ्यूजन पॉलिसी के तहत ‘वेंचर केपिटल फंड्स सहित सरकार समर्थित मैकेनिज्म, सिविल इन्नोवेशन का इस्तेमाल चीन के डिफेंस सेक्टर के फायदे के लिए करते हैं.
- अलीबाबा ने तमाम मशहूर भारतीय स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया है, जिनमें पेटीएम, जोमेटो, बिग बास्केट, स्नैप डील, एक्सप्रेसबीज आदि शामिल हैं.
- टेनसेंट ने बड़ा निवेश भारतीय टेक सेक्टर में किया है, जिनमें 400 मिलियन डॉलर का निवेश ओला कैब्स में और 700 मिलियन डॉलर का निवेश फ्लिपकार्ट में शामिल है.
-News Courtesy: Aaj Tak, Jagran, NDTV
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