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Detail Discussion:
AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान )में होगा Corona वैक्सीन का सबसे बड़ा ह्यूमन ट्रायल
- एम्स दिल्ली में स्वदेशी वैक्सीन COVAXIN का ह्यूमन ट्रायल 20 जुलाई से शुरू हो जाएगा
- ह्यूमन ट्रायल के लिए 10 घंटे के अंदर 1000 से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.
- सिर्फ 18 साल से ऊपर और 55 साल से कम उम्र के लोग ही ट्रायल में शामिल हो सकेंगे.
- जिस व्यक्ति पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल होगा उसका कोविड टेस्ट किया जाएगा.
- आईसीएमआर (ICMR) और भारत बायोटेक मिलकर कोरोना वायरस (coronavirus) के लिए जो वैक्सीन बना रहे हैं उसके ह्यूमन ट्रायल शुरू हो चुके हैं.
- भारत बायोटेक के मुताबिक, 375 वॉलेंटियर्स पर यह ह्यूमन ट्रायल किए जाएंगे इनमें से 100 वॉलेंटियर्स पर एम्स में परीक्षण होगा..
- एम्स (AIIMS) समेत भारत के 12 संस्थान इस ह्यूमन ट्रायल में हिस्सा ले रहे हैं.
- एम्स पटना में 10 वालेंटियर्स को यह वैक्सीन दी गई है और अभी तक किसी भी वालेंटियर में कोई साइड इफेक्ट होने की जानकारी नहीं है.
- ट्रायल के लिए नाम रजिस्ट्रेशन को लेकर ctaiims.covid19@gmail.com पर मेल कर सकते हैं
अलीबाबा ,नहुवावे, समेत चीनी आर्मी से जुड़ी 7 कंपनियों पर भारत में हो सकता है बड़ा एक्शन!
- हुवावे और अलीबाबा जैसी बड़ी चीनी कंपनियां, जो सम्भवतया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चीनी आर्मी से जुड़ी हुई हैं.
- इनके खिलाफ भारत में एक्शन हो सकता है. ये कंपनियां उन 7 कंपनियों में से एक हैं, जिनके खिलाफ भारतीय खुफिया सूत्रों ने रिपोर्ट दी है कि इन सभी के तार सीधे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से जुड़े हुए हैं.
- ये सातों कंपनियां हैं, X-India स्टील्स, जिनजिंग कैथे इंटरनेशनल, चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप, हुवावे, अलीबाबा, टेनसेंट और एसएआईसी(SAIC) मोटर कॉरपोरेशन.
- भारत सरकार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ये सभी कंपनियां निगरानी के दायरे में हैं और सम्भवतया इन पर एक्शन लिया जा सकता है.
- सूत्र बताते हैं कि अलीबाबा, बाइडू और टेनसेंट चीन के मिलिट्री सिविल फ्यूजन और आर्टीफिशियल प्रोजेक्ट्स का हिस्सा हैं.
स्वदेशी बग:
- इनमें दो स्वदेशी बग कोक्सिनेल्लिडाय (Coccinellidae) परिवार की ‘लेडीबर्ड बीटल’ से और एक स्वदेशी बग न्यूरोप्टेरा (Neuroptera) क्रम की ‘ग्रीन लेसविंग फ्लाई’ (Green Lacewing Fly) से संबंधित है।
- इसमें दो प्रकार के स्वदेशी बग ‘लेडीबर्ड बीटल’ (Ladybird beetles) एक कैरिबियन-मूल के ‘वूली वाइटफ्लाई’ (Woolly Whitefly) के खिलाफ जैविक हथियार हैं इन कीड़ों का जीवन चक्र चार चरणों [अंडा (Egg), ग्रब (Grub), प्यूपा (Pupa) और वयस्क (Adult)] में विभाजित होता हैं और ये 30-40 दिनों में अपना जीवन चक्र पूरा करते हैं।
- ये कीड़े 10-12 दिनों के लिये सक्रिय ग्रब चरण (Active Grub Stage) के दौरान ‘वूली वाइटफ्लाई’ (Woolly Whitefly) का सेवन करते हैं।
- इसकी नव-उष्णकटिबंधीय (Neo-Tropical) उत्पत्ति दुनिया के कई गर्म भागों में पाई जाती है और इसे ‘साइट्रस व्हाइटफ्लाई’ (Citrus Whitefly) भी कहा जाता है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) के अनुसार, ये कीट वर्षभर में देश की 30-35% फसलों को नुकसान पहुँचाते हैं।
कई देशों के साथ भारत का 'एयर बबल्स' करार, जानें क्या हैं इसके मायने:
- 'एयर बबल्स' को हवाई क्षेत्र में दो देशों के बीच होने वाले द्विपक्षीय करार को कहा जाता है.
- इसमें दोनों देशों के बीच करार के तहत हवाई यात्रा को मंजूरी दी जाती है.
- कोरोना संकट की वजह से लगी बंदिशों के बीच आवश्यक शर्तों का ध्यान रखते हुए दो देश आपस में एयर बबल्स शुरू कर सकते हैं.
- भारत दुनिया के कई देशों के साथ इस प्रक्रिया में जुटा हुआ है, ताकि वह अपने विमानों को उन देशों से आने-जाने की अनुमति दे सके.
- इससे पहले, सिर्फ वंदे भारत मिशन का ही विकल्प था. इसके तहत दुनियाभर से भारतीयों को लाने के लिए एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस और उसके बाद इंडिगो और स्पाइसजेट के विमान संचालित किए गए.
- दुनिया के तमाम देशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए इन उड़ानों का संचालन किया गया. नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, 'एयर बबल्स' स्थापित करने के लिए ब्रिटेन के साथ बातचीत चल रही है.
- इस बीच, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच 12 जुलाई से उड़ानें जारी हैं.
- इसके तहत 15 दिनों के लिए संयुक्त अरब अमीरात के विमानों को भारत से आने-जाने की अनुमति दी गई है.
Indian Railways 2030: Zero carbon emission target:
- इस योजना की अवधरणा के दौरान शून्य कार्बन उत्सर्जन की प्राप्ति के लिये सौर ऊर्जा अनुकूल राज्यों के साथ हुए पूरे देश के औसत सौर पृथक्करण(Average Solar Insolation) को आधार माना गया है।
- भारतीय रेल द्वारा शिमला, वैष्णव देवी जैसे देश के कई बड़े रेलवे स्टेशनों को पूर्णरूप से हरित ऊर्जा पर संचालित कर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।
- भारत के कुल कार्बन उत्सर्जन में लगभग 13% परिवहन क्षेत्र से आता है और इसमें रेलवे की हिस्सेदारी लगभग 60 लाख टन (वार्षिक) है।
- वर्ष 2019 में नई दिल्ली में रेलवे द्वारा एक प्रयोगशाला मॉडल पर आधारित परीक्षण किया गया था।
- इसके तहत सोलर पैनल से उत्पादित विद्युत को रेलवे की 25 किलोवाट ट्रैक्सन लाइन में संप्रेषित करने में सफलता प्राप्त की गई।
- आत्मनिर्भर भारत:
- रेलवे में सौर ऊर्जा उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने के दौरान भी स्वेदशी निर्माताओं को प्राथमिकता देने और विदेशी उपकरणों के आयात की सीमा निर्धारित करने की बात कही गई है।
- भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ (Make In India) पहल के तहत पश्चिम बंगाल स्थित ‘चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स’ (CLW) द्वारा लगभग 10 करोड़ की लागत से 9000 हॉर्सपॉवर के स्वदेशी रेल इंजन का निर्माण किया गया है।
- विदेशी निर्माताओं द्वारा 9000 हॉर्सपॉवर के रेल इंजन की लागत लगभग 45 करोड़ रुपए बताई गई थी।
- इसी प्रकार फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स अल्स्टॉम के सहयोग से बिहार स्थित ‘मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड’ 12,000 हॉर्स पावर के इलेक्ट्रिक रेल इंजन का निर्माण किया जा रहा है।
अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, असम और नगालैंड के लिये परिसीमन आयोग गठित किये जाने के केंद्र सरकार के निर्णय को असंवैधानिक और अवैध बताया है:
- हाल ही में चुनाव आयोग से जुड़े एक पूर्व कानूनी सलाहकार ने पूर्वोत्तर के चार राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, असम और नगालैंड के लिये परिसीमन आयोग गठित किये जाने के केंद्र सरकार के निर्णय को असंवैधानिक और अवैध बताया है।
- देश में पिछले परिसीमन (वर्ष 2002-08) के दौरान पूर्वोत्तर के इन चार राज्यों को परिसीमन की प्रक्रिया से बाहर रखा गया था।
- मार्च, 2020 में केंद्र सरकार द्वारा पूर्वोत्तर के चार राज्यों और जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा सीटों के निर्धारण के लिये परिसीमन आयोग की स्थापना की गई थी।
- उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई को इस आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
- चुनाव आयोग के पूर्व कानूनी सलाहकार के अनुसार, ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950’ (Public Representation Act, 1950) की धारा 8A में स्पष्ट किया गया है कि पूर्वोत्तर के चार राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर या नागालैंड) में परिसीमन की प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा संचालित की जाएगी।
- क्या कार्य है :
- जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या और सीमाओं का निर्धारण करना।
- अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदायों के लोगों की संख्या के आधार पर आरक्षित सीटों का निर्धारण किया जाता है।
- परिसीमन अधिनियम, 2002 में संशोधन:
- 14 जनवरी, 2008 को ‘परिसीमन अधिनियम, 2002’ में संशोधन करते हुए राष्ट्रपति को इन राज्यों में परिसीमन विलंबित करने की शक्ति प्रदान की गई।
- 8 फरवरी, 2008 राष्ट्रपति द्वारा इन चार राज्यों में परिसीमन स्थगित करने का आदेश जारी किया गया।
- संसद का यह फैसला इस तथ्य से प्रेरित था कि पूर्व में भी निर्वाचन आयोग को निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं के निर्धारण का अधिकार दिया गया था।
- परिसीमन (Delimitation) का अर्थ :
- परिसीमन से तात्पर्य किसी राज्य में समय के साथ जनसंख्या में हुए बदलाव के अनुरूप विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिये निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का निर्धारण करना है।
- क्या उद्देश्य है :
- परिसीमन का मुख्य उद्देश्य जनसंख्या के समान खंडों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान करना है।
- अनुसूचित वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा के लिये आरक्षित सीटों का निर्धारण भी परिसीमन की प्रक्रिया के तहत ही किया जाता है।
- परिसीमन की प्रक्रिया में नवीन जनगणना के आँकड़ों का प्रयोग किया जाता है।
- परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) क्या है :
- परिसीमन आयोग को सीमा आयोग (Boundary Commission) के नाम से भी जाना जाता है।
- प्रत्येक जनगणना के बाद भारत की संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद-82 के तहत एक परिसीमन अधिनियम लागू किया जाता है।
CrPC की धारा 433-A, अनुच्छेद 72, अनुच्छेद 161 : राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान की शक्तियों से संबंधित मुद्दे:
- न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने समय पूर्व रिहाई से संबंधित हरियाणा सरकार की नीति की वैधता के विषय को एक बड़ी खंडपीठ को हस्तांतरित किया है।
- न्यायालय एक हत्या के दोषी (आजीवन कारावास की सज़ा) के एक मामले पर सुनवाई कर रहा था, जो कि राज्य द्वारा गठित एक क्षमा नीति (Remission Policy) के लागू होने के पश्चात् 8 वर्ष की सज़ा पूरी होने पर रिहा हो गया था।
- अब न्यायालय की बड़ी खंडपीठ इस तथ्य की जाँच करेगी कि हरियाणा सरकार की यह नीति आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 433-A के विपरीत है अथवा नहीं।
- आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 433-A के अनुसार, यदि किसी दोषी को उम्र कैद की सज़ा हुई है तो उसे कारावास से तब तक रिहा नहीं किया जा सकता है, जब तक वह कम-से-कम 14 वर्ष की सज़ा पूरी न कर ले।
- इस प्रकार हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई नीति स्पष्ट तौर पर CrPC की धारा 433-A का उल्लंघन करती है।
- राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 और अनुच्छेद 161 के तहत भारतीय राष्ट्रपति और राज्य के राज्यपाल को अपराध के लिये दोषी करार दिये गए व्यक्ति को क्षमादान देने अर्थात् दंडादेश का निलंबन, प्राणदंड स्थगन, राहत और माफी प्रदान करने का अधिकार दिया गया है।
- राष्ट्रपति को संघीय विधि के विरुद्ध दंडित व्यक्ति के मामले में, सैन्य न्यायालय द्वारा दंडित व्यक्ति के मामले में और मृत्यदंड मिले हुए व्यक्ति के मामले में क्षमादान देने का अधिकार है।
इंटरनेशनल सेंटर ऑफ ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी’ ICAT) ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिये एएसपीआईआरई (ASPIRE - ऑटोमोटिव सॉल्यूशंस पोर्टल फॉर इंडस्ट्री, रिसर्च एंड एजुकेशन) नामक टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है:
- इस मिशन की ओर पहला कदम ‘प्रौद्योगिकी मंच ई-पोर्टल’ का निर्माण है जहाँ इस तरह के सूचना विनिमय एवं नवाचार की सुविधा प्रौद्योगिकी विकास, हो सकती है।
- विभिन्न संगठनों द्वारा विशिष्ट क्षेत्रों के लिये पाँच पोर्टल विकसित किये जा रहे हैं।
- विनिर्माण प्रौद्योगिकी के लिये (सीएमएफटीआई)
- मोटर वाहन क्षेत्र के लिये (आईसीएटी)
- एआरएआई (ARAI)
- बिजली क्षेत्र के उपकरणों के लिये (भेल)
- मशीन टूल्स के लिये (एचएमटी)
- ICAT ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिये एएसपीआईआरई (ASPIRE - ऑटोमोटिव सॉल्यूशंस पोर्टल फॉर इंडस्ट्री, रिसर्च एंड एजुकेशन) नामक टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है।
- एएसपीआईआरई (ASPIRE): उद्देश्य
- इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य भारतीय मोटर वाहन उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने की सुविधा प्रदान करना है।
- इसकी गतिविधियों में निम्नलिखित क्षेत्र शामिल किये जाएंगे।
- अनुसंधान एवं विकास
- उत्पाद प्रौद्योगिकी विकास
- उद्योग के लिये तकनीकी एवं गुणवत्ता समस्या समाधान
- विनिर्माण एवं प्रक्रिया प्रौद्योगिकी विकास
- प्रौद्योगिकी विकास के लिये आने वाली चुनौतियाँ और भारतीय ऑटो उद्योग के रूझानों की पहचान के लिये ‘मार्केट रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी सर्वे’ का आयोजन करना।
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